यहाँ से कभी दिल न जाने को करता, करे कैसे जाये बिना भी न सरता
अगर च हिर्धय नयन भर आ रहे है
प्रभु दर्श कर आज घर जा रहे है, झुका तेरे चरणों में सर जा रहे है
न हुई पूजा भक्ति न कुछ सेव कई, न मंदिर में बहुमूल्य वास्तु चराई
यह खली फकत जोर के जा रहे है
प्रभु दर्श कर आज घर जा रहे है, झुका तेरे चरणों में सर जा रहे है
बुलाना यहाँ फिर भी दर्शन को अपने, लगे तुम भरोसे सभी कर्म जहर ने
ज़रा केते रहना खबर जा रहे है
प्रभु दर्श कर आज घर जा रहे है, झुका तेरे चरणों में सर जा रहे है
प्रभु दर्श कर आज घर जा रहे है, झुका तेरे चरणों में सर जा रहे है